हिन्दी (हिन्दी, हिन्दुस्तानी उच्चारण: [ˈhɪndi]) संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
हिन्दी और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।[1] 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२.२ करोड़ (422,048,642) लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा बताया।[3] भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983[4]; मॉरीशस में 685,170; दक्षिण अफ्रीका में 890,292; यमन में 232,760; युगांडा में 147,000; सिंगापुर में 5,000; नेपाल में 8 लाख; न्यूजीलैंड में 20,000; जर्मनी में 30,000 हैं।
इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४.१ करोड़ (141,000,000) लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिंदी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिंदी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिंदी, विभिन्न भारतीय राज्यों की 14 आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग 1 अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है|
हिन्दी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के स्तर को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी।
मातृभाषाप्रयोगकर्ता: 42 करोड़ 60 लाख (2001) कुल जनसँख्या का 41.03%[1]
द्वितीय भाषा: 12 करोड़ (1999)[1]
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